गांव का स्नेह-सत्कार
-डॉ. आशा लता पाण्डेय गाँव, गांव की माटी और माटी की सोंधी गंध….सब मेरी आंखों में, सांसों में रची-बसी है। गांव से बचपन की बहुत सी यादें जुड़ी हैं। बचपन में बहुत बार गांव में आना-जाना होता था। चाचा-चाची, काका-काकी, दादा-दादी वहां रहते थे। शहर से गांव पहुंचने पर बड़ा ही स्नेहमय स्वागत होता था।…
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