रंग-बिरंगी प्रकृति की चमक
डा. अपर्णा धीर खण्डेलवाल आया होली का त्योहार……लाया रंगों की फुहार रंग भी ऐसे………जिसने खिलखिला दिया प्रकृति को गुलाल तो केवल…..प्रतीक है उन रंगों का, जिन से……चमक उठी है संपूर्ण धरा शीत लहर के…..छटते ही पीली-सुनहरी बन जाती है…..वसुंधरा अब बादलों में…..छिपा सा नहीं खुलकर लालिमा…..बिखेरता है सूरज पाले से…..झुलसे हुए पत्ते नवीन कोपलो के…
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